कुछ औषधियां यकृत के द्वारा निष्क्रिय की जा सकती हैं जब उन्हें वहां जठरांत्र पथ (पाचन नली) से यकृत पोर्टल शिरा (“प्रथम संकट पथ प्रभाव”) द्वारा ले जाया जाता है जो उन्हें मौखिक उपयोग के लिए अनुपयुक्त बना देती हैं.
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कुछ औषधियां यकृत के द्वारा निष्क्रिय की जा सकती हैं जब उन्हें वहां जठरांत्र पथ (पाचन नली) से यकृत पोर्टल शिरा (“प्रथम संकट पथ प्रभाव”) द्वारा ले जाया जाता है जो उन्हें मौखिक उपयोग के लिए अनुपयुक्त बना देती हैं.
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जिन औषधियों को जिह्वा के नीचे लिया जा सकता है उन्हें मुख की श्लेष्मिक झिल्ली के द्वारा अवशिषित किया जाता है जिससे कि वे यकृत से बचकर बाहर निकल सकें एवं वे प्रथम संकट पथ प्रभाव के प्रति कम ग्रहणक्षम होती हैं.
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जिन औषधियों को जिह्वा के नीचे लिया जा सकता है उन्हें मुख की श्लेष्मिक झिल्ली के द्वारा अवशिषित किया जाता है जिससे कि वे यकृत से बचकर बाहर निकल सकें एवं वे प्रथम संकट पथ प्रभाव के प्रति कम ग्रहणक्षम होती हैं.